swedendanga
स्वीडन दंगा
स्वीडन पूरे विश्व में शिक्षा के मामले में पहचान बनाने वाले टॉप 10 देशों में सामिल है। दुनिया के सबसे खुशहाल देशों कि सूची में स्वीडन ने 7 वें स्थान पर अपनी जगह को स्थापित किया। स्वीडन आय, उदारता, स्वस्थ जीवन, सामाजिक भाईचारे, विश्वास व आजादी के मुददे पर पूरे विश्व में एक अलग स्थान स्थापित किया है। स्वीडन पूरे देश में अपनी खुबसुरती व विकास के लिए जाना जाता है।स्वीडन नार्वे, डेनमार्क, फिनलैंड र्जैसे देश के पास में बसा है। स्वीडन की कुल आबादी लगभग 1 करोड़ है।
हम इस आर्टिकल में यह जानेगे की हाल ही में जो स्वीडन में दंगे हुए है उसका क्या कारण था -
शरणार्थियों का आगमन -
सीरीया और इराक में हुये हिंसा के कारण बहुत से शरणार्थियों को स्वीडन, नार्वे, डेनमार्क व फिनलैण्ड जैसे देशों में शरण लेना पड़ा। मानवता दिखाते हुए स्वीडन, नार्वे, डेनमार्क व फिनलैण्ड जैसे देशों ने अपने वहाँ ठहरने की इजाजत भी दी। इन शरणार्थियों के सीरीया, इराक और स्वीडन में पहुँचने से इन देशों की जनसंख्या में काफी तेजी से वृद्धि हुई। वर्तमान समय में स्वीडन में कुल मुस्लिम जनसंख्या लगभग 8.1 प्रतिशत है। जनसंख्या वृद्धि के कारण इन देशों में कई प्रकार की सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न होने लगी और इन देशों में अस्थिरता का माहौल बनने लगा हाल ही में हुए स्वीडन हिंसा में आग-जनी व तोड़-फोंड़ में इन शरणार्थियों का हाथ बताया जा रहा है।
डेनमार्क के नेशनलिस्ट पार्टि के नेता रैसमस पालुदान इस्लाम विरोधी नेता है। ये सोसल मिडीया पर मुस्लिम लोगों व ईस्लामीकरण के बारे में भड़ाऊ विडियों बनाकर डालते है और नार्डिक देशों को ईस्लामीकरण के खतरें के बारें में बतातें है। हाल ही में पालुदान स्वीडन में इस्लामीकरण के विरोध में सभा करने वाला थे लेकिन यह खबर जब स्वीडन सरकार को लगी तो स्वीडन सरकार ने पालुदान के स्वीडन आने पर रोक लगा दी और उसे दो साल के लिये स्वीडन में आने से मना कर दिया। जब पालुदान को स्वीडन में सभा करने से रोक दिया गया तो उसके समर्थकों ने इसका विरोध किया और कुरान की प्रतियां जलाकर उसका विडियों बनाकर सोसल मिडिया पर वायरल कर दिया। यह विडियों जब मुस्लिम लोगों ने देखा तो लोग सड़कों पर आकर इसका विरोध किया और कई जगहों पर तोड़-फाड़ व आगजनी हुई और धीरे-धीरे यह हिंसा काफी बढ़ गयी। स्वीडश सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए पुलिस को भेजा लेकिन जब प्रदर्शनकारियों को रोका गया तो उन्होनें पुलिस के ऊपर पत्थरबाजी की व तोड़-फोड़ की।
स्वीडन में हुए दंगे के पीछे किसी एक वर्ग या समूह को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि स्वीडन में जो दंगे हुये उसमें दोनों पक्षों की भागीदारी है। किसी एक पक्ष या विशेष को जिम्मेंदार ठहराना उचित नहीं है।
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